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शख्सियत समाज

“मेरा गीत मुझे गाने दो”…..स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर…..

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आज राष्ट्र चेतना के धधकते अंगारे, हिन्दू राष्ट्र के प्रचंड परंतु सर्वाधिक प्रताड़ित योद्धा स्वातंत्र्यवीर विनायक दमोदर सावरकर जी को उनके 135 वें जन्मोत्सव पर अधिकांश राष्ट्रवादी समाज स्मरण कर रहा है। प्रतिवर्ष आने वाली यह तिथि (28 मई) हिन्दुत्वनिष्ठ समाज को एकजुट व संगठित करके संगोष्ठी व वार्ताओं के विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा वीर सावरकर […]

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राजनीति

नये मोड़ पर व्यापम घोटाला

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‘कैग’ की रिपोर्ट कांग्रेस को हमलावर होने का मौका दे दिया था विपक्ष के नेता अजय सिंह ने शिवराजसिंह का इस्तीफ़ा मांगते हुए कहा था कि “अब यह सवाल नहीं है कि मुख्यमंत्री व्यापमं घोटाले में दोषी हैं या नहीं लेकिन यह तो स्पष्ट हो चुका है कि यह घोटाला उनके 13 साल के मुख्यमंत्रित्व काल में हुआ है, उनके एक मंत्री सहित भाजपा के पदाधिकारी जेल जा चुके हैं और उनके बड़े नेताओं से लेकर संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सब जाँच के घेरे में हैं इसलिए अब उन्हें मुख्यमंत्री चौहान के इस्तीफे से कम कुछ भी मंजूर नहीं है.” दूसरी तरफ भाजपा ने उलटे “कैग” जैसी संवैधानिक संस्था पर निशाना साधा था और कैग’ द्वारा मीडिया को जानकारी दिए जाने को ‘सनसनी फैलाने वाला कदम बताते हुए उस पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का आरोप लगाया था

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समाज

सर्वोदयवादी और अन्त्योदयवादी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के लिए था हमारा संघर्ष

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भारतीय लोगों पर और विशेषत: हिंदुओं पर यह आरोप लगाया जाता है कि वे मुस्लिम शासकों का इसलिए विरोध कर रहे थे कि वे मुस्लिम थे, यह आरोप भी मिथ्या है, क्योंकि मुस्लिम शासक हिंदुओं के इसलिए विरोधी थे कि वे हिंदू हैं। राजा का अनुकरण जनता किया करती है। राजा कभी प्रजा का अनुयायी नही होता है। इतिहास को स्वाभाविक और सहज रूप से अपनी दिशा निर्धारित करने देनी चाहिए। यदि इतिहास को सत्य बोलने दिया जाए तो सल्तनत काल में हिंदू प्रतिरोध के हर अवसर से लोकतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था की मांग के लिए उठते स्वरों को देखकर हर भारतीय को गर्व होगा कि हमारे पूर्वज सर्वोदयवादी और अन्त्योदयवादी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के लिए उस समय कितना महत्वपूर्ण संघर्ष कर रहे थे, जिस समय शेष विश्व इनके विषय में कुछ भी नही जानता था।

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विविधा

गोरे असुरों का भारत-अभियान अर्थात आधुनिक देवासुर संग्राम

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लूट-पाट को अपना पेशा बना चुके वे लोग उस तथाकथित ‘सभ्य समाज’ की राज-सत्ता और ‘रोमन-चर्च’ की धर्म-सत्ता के आतंक से भागे तो थे सभ्य-सम्पन्न बनने की मजबूरी में, किन्तु भागने से रिश्ता खत्म थोडे ही होता है । जिनके द्वारा भगाये गये थे, अथवा जिनसे दूर भागे थे, उन्हीं से सम्मान पाने की लालसा भी थी उनमें । इसलिए लूट और डकैती के माल का एक अंश वे उस ‘सभ्य-समाज’ के उन ‘सभ्य लोगों’ को भी देने लगे, जिनमें ‘वेटिकन’ के पोप एवं उसके चर्च के पादरी और ब्रिटिश राजमहल के राजा-रानी से लेकर दरबारी- लार्ड-जागीरदार तक शामिल थे ।

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राजनीति

तीन साल तो मात्र एक पड़ाव है

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अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद को नीति के रूप में प्रयोग कर रहे पाकिस्तान को भारत ने अलग थलग करने में भी सफलता हासिल की है इसी कारण आज पाकिस्तान पर अमेरिका से लेकर कई देशों ने दबाव बनाया है कि वह आतंकवाद को प्रश्रय देना बंद करे। यह मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी है। चीन की दादागिरी को भी बढ़ने न देना सरकार की सफलता है। चीन जहां एक तरफ पाकिस्तान की मदद कर रहा है वहीं भारत के कई हिस्से पर अपना दावा करता रहा है। एलएसी को वह स्वीकार नहीं कर रहा है। लेकिन कई दशकों बाद भारत ने लेह के आगे अपने 100 टैंक भेजे और युद्धाभ्यास किया। वहीं अरुणाचल प्रदेश के विकास और सीमा पर सड़क निर्माण कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया गया।

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समाज

उपेक्षाओं के मध्य ‘दलित उड़ान’

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दलित समाज को जागृत करने के नाम पर मायावती तथा रामविलास पासवान जैसे और भी कई नेताओं को राजनैतिक रूप से काफी अवसर भी मिले। परंतु इन लोगों ने भी सिवाय अपनी कुर्सी व सत्ता सुरक्षित रखने,धन-संपत्ति संग्रह करने, अपने वारिसों को अपना उत्तराधिकारी बनाने के, और कुछ नहीं किया। हां इतना ज़रूर किया कि यह नेता भी महज़ अपनी राजनैतिक रोटी सेेंकने के लिए दलित समाज को उनके उपेक्षित होने का हमेशा एहसास कराते रहे जबकि इनके अपने रहन-सहन शाही अंदाज़ व शान-ो-शौकत से भरपूर हैं।

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विश्ववार्ता

मोदी की श्रीलंका यात्रा -कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना

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प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के साथ सांस्कृतिक संबंधों को आधार बनाकर रिश्ते सुधारने की शानदार पहल की है। श्रीलंकाई लोग बहुतायत से जिस बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, उसके प्रवर्तक महात्मा बुद्ध का जन्मस्थान भारत है। बौद्ध धर्म के संदेश के जरिए मोदी ने तमिल राजनीति की गंदगी से दोनों देशों के बीच के संबंधों को दूर ले जाकर सांस्कृतिक एकता के दायरे में ले आने की कोशिश की है। दोनों देशों के बीच धार्मिक व सांस्कृतिक एकता बढ़ने से न सिर्फ दोनों देशों के बीच 2500 वर्ष से चले आ रहे संबंधों में फिर से गर्मी आएगी, बल्कि भारत खुद को एक ऐसी सौहार्द्रपूर्ण शक्ति के रूप में पेश कर सकता है, जिसे श्रीलंका के सिर्फ विकास और कल्याण में दिलचस्पी है।

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विधि-कानून विविधा

अलविदा-तीन तलाक

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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अब तीन तलाक की वर्तमान में जारी प्रक्रिया को सुधारने की दिशा में मौलवियों और काजियों को दिशा-निर्देश जारी करेगा। इन दिशा-निर्देशों को पूर्णत: लोकतांत्रिक और एक उदार सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप बनाने व ढालने का प्रयास किया जाएगा। अब विवाद होने पर पति पत्नी पारस्परिक सहमति से हल निकालेंगे। यदि उनकी पारस्परिक सहमति से हल नहीं निकलता है तो कुछ समय के लिए वे अस्थायी रूप से अलग हो जाएंगे जिससे कि परिस्थितियों की उत्तेजना शांत हो सके और दोनों को एक दूसरे को समझते हुए अपनी गलती का अहसास करने का अवसर मिल सके।

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