समाज आंतरिक जीवन ही महानता का सच्चा मार्गदर्शक है October 17, 2016 by शालिनी तिवारी | Leave a Comment प्रकृति का अनुपम विधान ब्रह्माण्ड़ और उसकी अनुपम कृति मानव है । भूतल पर प्रकृति द्वारा सभी वस्तुएँ प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से उसी के निमित्त है । इनका अनुकूलम उपयोग करके मानव कल्याण सम्भव है । अगर आज सारी दुनियॉ उद्दाम भोगवादी कार्यों से ग्रस्त है, तो यह महान चिंता का विषय है । विश्व गुरू का दर्जा प्राप्त भारत भी आज इससे अछूता नहीं है । Read more » आंतरिक जीवन महानता महानता का सच्चा मार्गदर्शक
शख्सियत समाज जन्मदिवस विशेष: ‘हमारे अमर कलाम…” October 15, 2016 by अनुज हनुमत | 1 Comment on जन्मदिवस विशेष: ‘हमारे अमर कलाम…” कलाम सर 84 साल के सबसे युवा भारतीय थे। मृत्यु से कुछ क्षण पहले तक उनमें वैसा ही जोष और उत्साह था जैसा आप युवाओं में देखते है। उनकी मृत्यु स्वाभाविक तौर पर ऐसे समय हुई जब वे अपने सबसे प्रिय विषय में युवाओं को संबोधित कर रहे थे। कलाम सर महान भारत के वास्तविक प्रतिक, आदर्ष नागरिक और सर्वाधिक सकारात्मक भारतीय थे। Read more » Bharat Ratna APJ Abdul Kalam Featured एपीजे अब्दुल कलाम कलाम
समाज सार्थक पहल अब नहीं होगी उनकी जिंदगी धुंआ-धुंआ… October 15, 2016 by मनोज कुमार | Leave a Comment श्रीमती शांति मोहन साहू का अब अपनी सास और बेटी रिश्ता और अधिक मजबूत हो रहा है। छुरिया विकासखंड की ग्राम खुर्सीपार निवासी श्रीमती शांति साहू उज्ज्वला योजना के तहत मिले गैस चूल्हे से अब अपनी बेटी को उसकी मन-पसंद सब्जी और अपनी सास को उनका पसंदीदा खाना आधे घंटे में बनाकर दे देती है। इस गैस कनेक्शन के कारण अब शांति साहू की बेटी और सास जब चाहे तब गरमा-गरम खाना पका कर आसानी से खा लेते है। Read more » Featured PM Ujwalla Yojna प्रधानमंत्री उज्जवला योजना
समाज सिनेमा भारतीय सिनेमा में मुस्लिम प्रभाव को बढ़ावा October 15, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 2 Comments on भारतीय सिनेमा में मुस्लिम प्रभाव को बढ़ावा सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान, सैफ अली खान, नसीरुद्दीन शाह, फरहान अख्तर, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, फवाद खान जैसे अनेक नाम हिंदी फिल्मों की सफलता की गारंटी बना दिए गए हैं। अक्षय कुमार, मनोज कुमार और राकेश रोशन जैसे फिल्मकार इन दरिंदों की आंख के कांटे हैं। तब्बू, हुमा कुरैशी, सोहाअलीखान और जरीनखान जैसी प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों का कैरियर जबरन खत्म कर दिया गया क्योंकि वे मुस्लिम हैं और इस्लामी कठमुल्लाओं को उनका काम गैरमजहबी लगता है। फिल्मों की कहानियां लिखने का काम भी सलीम खान और जावेद अख्तर जैसे मुस्लिम लेखकों के इर्द-गिर्द ही रहा जिनकी कहानियों में एक भला-ईमानदार मुसलमान, एक पाखंडी ब्राह्मण, एक अत्याचारी - बलात्कारी क्षत्रिय, एक कालाबाजारी वैश्य, एक राष्ट्रद्रोही नेता, एक भ्रष्ट पुलिस अफसर और एक गरीब दलित महिला होना अनिवार्य शर्त है। Read more » Featured भारतीय सिनेमा भारतीय सिनेमा में मुस्लिम प्रभाव मुस्लिम प्रभाव मुस्लिम प्रभाव को बढ़ावा
समाज तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार की पराकाष्ठा October 15, 2016 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कानून से मुस्लिम महिलाओं को तमाम अत्याचार झेलने पड़ते हैं। तीन तलाक तो इसकी पराकाष्ठा है। साथ ही साथ मुस्लिम पुरुष समाज को एक पत्नी होते हुए बहुविवाह की आजादी भी मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार है। Read more » Featured अत्याचार की पराकाष्ठा तीन तलाक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम महिलाओं मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार की पराकाष्ठा
समाज तीन तलाक पर प्रगतिशील बने मुस्लिम समाज October 14, 2016 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment हाल ही में जब कोर्ट ने केंद्र से तीन तलाक के विषय में कोर्ट में हलफनामा प्रस्तुत करनें के लिए कहा तब नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछली सरकारों की तरह इस मुद्दें पर कन्नी काटने व चुप बैठे रहनें के स्थान पर संविधान की धारा 44 के मर्म को समझ कर अपनी जिम्मेदारी निभाई व तीन तलाक के मुद्दे पर स्पष्ट असहमति व्यक्त कर दी है. 1840 में यह विवाद प्रथम बार उभरा था और Read more » Featured triple talaq तीन तलाक प्रगतिशील बने मुस्लिम समाज मुस्लिम समाज
शख्सियत समाज लोक नायक जयप्रकाश नारायण October 12, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment “सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है ।’’ यह जयप्रकाश नारायण का विचार व नारा था जिसका आह्वान उन्होने इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये किया था।लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है - राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है। Read more » Featured जयप्रकाश नारायण लोक नायक लोक नायक जयप्रकाश नारायण
समाज अहिंसा है सुखी समाज का आधार October 12, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment शोषण विहीन समाज की रचना के लिए संग्रह स्पर्धा और उपभोग वृत्ति पर रोक आवश्यक है। इससे न केवल स्वयं के जीवन में संतुलन एवं संयम आएगा, समाज में भी संतुलन आएगा। शोषण की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी और इस चक्की में पिस रहे लोगों को राहत मिलेगी। इसलिए भगवान महावीर ने अपरिग्रह को धर्मयात्रा का अभिन्न अंग माना। अपरिग्रह का अर्थ है संग्रह पर सीमा लगाना। इससे शोषण की आधारशिला कमजोर होगी तब हिंसा का ताण्डव नृत्य भी कम होगा। अपरिग्रह के बिना अहिंसा की सही संकल्पना हो ही नहीं सकती और न इसकी सही अनुपालना हो सकती है। Read more » अहिंसा सुखी समाज का आधार
समाज समस्याओं से कैसे निपटा जाये? October 12, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment जिंदगी एक पन्ने की तरह है, जिसके कुछ अक्षर फूलों से लिखे गए हैं, कुछ अक्षर अंगारों से लिखे गये हैं। क्योंकि जीवन में कहीं सुख का घास है तो कहीं रजनीगंधा के फूल हैं, कहीं रेगिस्तान है तो कहीं सागर है, कहीं मनमोहक घाटियां हैं तो कहीं सुंदर वन हैं, एक जैसा जीवन किसी का नहीं है। सबको संघर्षों से सामना करना पड़ता है। कई बार जीवन-संग्राम में संघर्ष करते-करते बहुत-से व्यक्ति थक-हारकर बैठ जाते हैं। Read more » how to get rid of problems in life समस्याओं से कैसे निपटा जाये?
शख्सियत समाज जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख – एक तुलनात्मक विश्लेषण October 11, 2016 by हरिहर शर्मा | Leave a Comment नानाजी अक्सर राजा राम की तुलना में वनवासी राम की अधिक प्रशंसा करते थे । उनका कहना था कि राजा के रूप में राम इसलिए अधिक सफल हुए, क्योंकि उन्होंने वन में रहते हुए गरीबी को जाना, समझा | इसीलिए नानाजी ने भी राजनीति से विराम लेकर गरीब वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन खपाने का निर्णय लिया । दीन दयाल शोध संस्थान भी बनाया तो चित्रकूट में, जहाँ वनवास के दौरान भगवान राम ने अपना समय व्यतीत किया । अपने चित्रकूट प्रवास के दौरान नानाजी ने वहां के पिछड़ेपन, अशिक्षा और अंधविश्वास में डूबी जनता का मूक रुदन अनुभव किया । Read more » Featured जयप्रकाश नारायण नानाजी देशमुख
समाज सुधार क्यों नहीं चाहता मुस्लिम समुदाय October 11, 2016 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | 1 Comment on सुधार क्यों नहीं चाहता मुस्लिम समुदाय यह कैसी प्रथा है कि फोन पर, ई-मेल से, एसएमएस से या पत्र से भी तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कह देने भर से संबंध खत्म कर लिया जाता है। मुस्लिम महिला को इसमें समानता का अधिकार कहाँ है? उसके पास तो अपना पक्ष रखने का अवसर भी नहीं है। इस कुरीति का समर्थन करने के लिए यह कहना कि यदि पुरुष के पास तीन तलाक का अधिकार नहीं होगा, तब वह महिला से छुटकारा पाने के लिए उसकी हत्या कर देगा। इसलिए तीन तलाक महिलाओं के हक में है, क्योंकि इससे उनका जीवन सुरक्षित होता है। यह कठमुल्लापन नहीं, तो क्या है? Read more » Featured triple talaq uniform civil code सुधार क्यों नहीं चाहता मुस्लिम समुदाय
समाज आतंक के विरुद्ध भारतीय मुसलमानों की एकजुटता October 9, 2016 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment परंतु अब भारतीय मुसलमान एकमत होकर यह ठान चुके हैं कि वे यह प्रमाणित करके रहेंगे कि आतंकवाद से इस्लामी शिक्षाओं का कोई लेना-देना नहीं है। और जो आतंकवादी है वह मुसलमान नहीं हो सकता। इस दिशा में सबसे बड़ा कदम यह भी उठाया गया है कि मुस्लिम उलेमाओं ने सामूहिक रूप से यह फैसला किया है कि सीमा पार से आने वाला कोई भी आतंकी यदि भारत की धरती पर मार गिराया जाता है तो यहां के मुसलमान उलेमा उसके जनाज़े पर नमाज़ तक नहीं पढ़ेंगे। Read more » Featured Muslims unity against terrorism आतंक के विरुद्ध भारतीय मुसलमानों की एकजुटता