Category: विविधा

पर्यावरण विविधा

घट रहे हैं पेड़़

| Leave a Comment

पेड़ लगाने और उनकी सुरक्षा से जुड़ा सबसे दुखद पहलू यह है कि सरकारी नीतियां के चलते सारी जिम्मेबारियां लाल फीताशाही की गिरफ्त में आ गई है। पेड़ लगाने, काटने, उसे परिवहन व विक्रय करने के कायदे-कानून राज्य सरकारों के आधीन हैं। निजी भूमि पर लगाया गया पेड़ भी काटने के लिए राजस्व और वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। इनमें रिष्वत का बोलबाला है। नतीजतन इन परेशानियों से बचने के लिए लोगों ने पेड़ उगाना ही बंद कर दिया है। इस कारण आम आदमी का वन प्रबंधन से अब कोई संबंध ही नहीं रह गया है। आज भारत के सबसे गरीब लोग सबसे संमृद्ध वनों में रहते है। किंतु पेड़ और वनोपज से सर्वथा वंचित है। गोया जब इन गरीबों को पेड़ उगाने और काटने के साथ वनोपज के स्वामित्व से जोड़ा जाएगा, तभी वनों का विकास व सरंक्षण संभव है।

Read more »

टेक्नोलॉजी विज्ञान विविधा

वैज्ञानिकों के चमत्कार को नमस्कार

| Leave a Comment

अब आज जब हम अपने आधुनिक विश्व के वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष की खोज करते हुए देखते हैं, हम यह भी देखते हैं कि आज के वैज्ञानिक कैसे नये-नये अंतरिक्षीय रहस्यों से पर्दा उठाते जा रहे हैं, तो हमें उन पर आश्चर्य होता है। वास्तव में यह आश्चर्य करने की बात नहीं होनी चाहिए, अपितु हमें अपने आप पर गर्व होना चाहिए कि आज का विज्ञान जितना ही अंतरिक्षीय रहस्यों को उद्घाटित करता जा रहा है-वह उतना ही अधिक हमारे साक्षात्धर्मा ऋषियों के उत्कृष्टतम चिंतन को नमन करता जा रहा है।

Read more »

खान-पान विविधा

सडक़ों पर बिकता ‘ज़हर’:शासन-प्रशासन मौन?

| Leave a Comment

खबरों के मुताबिक चीन से ही आयातित कोई विशेष रासायनिक पाऊडर ऐसा है जिसकी एक छोटी सी पुडिय़ा जिसका वज़न मात्र दस ग्राम ही होता है, उसे किसी भी कच्चे फल की टोकरी मेें रखकर टोकरी को ठीक से ढक दिया जाता है। इसके बाद उस रासायनिक पाऊडर की पुडिय़ा से निकलने वाली तेज़ ज़हरीली गैस चार-पांच घंटों में उस टोकरी में रखे फलों के छिलके का रंग पके हुए फलों के छिलके जैसा बना देती है। और यह पका हुआ रंग ग्राहक को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसी प्रकार एक और रसायन द्रव्य के रूप में बाज़ार में उपलब्ध है।

Read more »