Category: विविधा

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“नागरिकों की सुरक्षा का प्रश्न” ….?

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पिछले माह हमारे सेनानायक जनरल विपिन रावत ने अपने एक संदेश में स्पष्ट कहा था कि "जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल ज्यादा हताहत इसलिए हो रहें है क्योंकि 'स्थानीय लोग' उनके अभियान में बाधा डालते है और कई बार आतंकवादियों को भगाने में भी मदद करते है।'" इसके साथ ही उन्होंने अपने कड़े संदेश में स्थानीय कश्मीरी लड़कों को चेतावनी भी दी थी कि "जिन लोगों ने हथियार उठाये है और इस्लामिक स्टेट व पाकिस्तान के झंडे लहराकर आतंकवादी कृत्य करते है तो हम उनको राष्ट्रविरोधी तत्व मानेंगे और उनको पकड़ कर उन पर कड़ी कार्यवाही होगी ।" इस साहसिक बयान पर नेताओं समेत अनेक तथाकथित बुद्धिजीवियों की आलोचनाभरी नकारात्मक टिप्पणियां आयी थी।

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आर्थिकी राजनीति विविधा

राष्ट्रीय विकास में युवाओं की भूमिका सुनिश्चित करता भारत का युवा कौशल विकास मिशन

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आजकल देश के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों और औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों तथा सभी व्यावसायिक व तकनीकी स्कूलों और पोलिटेक्निक व अन्य व्यावसायिक कॉलेजों में युवा कौशल विकास के लिए अध्ययन प्रवर्तन उद्यमों से लेकर अनेक औपचारिक एवम् अनौपचारिक प्रशिक्षणों द्वारा स्व-रोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए ई-लर्निंग और वेब-आधारित तथा दूरस्थ अध्ययन आधारित कौशल विकास प्रशिक्षणों की सुविधाएं दी जा रही हैं।

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विधि-कानून विविधा शख्सियत

बाबासाहेब – एक अनुकरणीय व्यक्तित्व

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पूना पैक्ट की पीठ तक की यात्रा तक में बाबा साहेब भारत की एक बड़े दलित राजनैतिक केंद्र और संस्था के रूप में स्थापित हो चुके थे. ब्रिटिशर्स और गांधी दोनों के ही प्रति जातिगत व्यवस्थाओं में परिवर्तन को लेकर उदासीनता को लेकर वे खिन्नता प्रकट करते थे. दलितों और अछूतों की स्वतंत्र राजनैतिक परिभाषा और पहचान को लेकर वे संघर्ष को तीक्ष्ण कर रहे थे उस दौर में बाबा साहेब ने गांधी के प्रति यह नाराजगी भी प्रकट किया था कि वे दलितों को हरिजन कहनें के पीछे जिस प्रकार का भाव प्रकट करते हैं उसमें दलित देश में एक करुणा मात्र की वस्तु बन कर रह गएँ हैं.

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विविधा

कश्मीर में पैलेट गन क्यों नही…

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जबकि यह सर्वविदित ही है कि वर्षो से कश्मीर घाटी में अलगाववादियों व आतंकवादियों द्वारा प्रति लड़के/युवक को 500 से 1500 रुपये तक देकर सुरक्षाबलों पर हमले करवायें जाते आ रहे है। परिणामस्वरूप अनेक सुरक्षाकर्मी मारे भी गये और साथ ही सरकारी संपत्तियों की भी भारी क्षति हुई है। पिछले कुछ वर्षों के अतिरिक्त भी जुलाई 2016 में आतंकी बुरहानवानी के मारे जाने के बाद इन पत्थरबाजों की टोलियों ने कई माह तक विशेषतौर पर दक्षिण कश्मीर में सामान्य जनजीवन को ही बंधक बना दिया था।

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सच्चाई को समझें भारतीय मुसलमान

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सबसे बड़ा सत्य तो यह है कि भारत और पाकिस्तान में निवास करने वाले मुसलमान के पूर्वज पहले हिन्दू ही थे। अगर वे इतिहास उठाकर देखेंगे, तो उन्हें इस सच्चाई का पता चल जाएगा। वैसे भारत के कई मुसलमान आज भी इस सत्य को बेहिचक स्वीकार करने का साहस दिखाते हैं। यह भी सच है कि दुनियाभर में जितने भी मुसलमान निवास करते हैं, उनमें सबसे ज्यादा सुरक्षित भारत में ही हैं। आज कुछ मुसलमान संदेह की दृष्टि से देखे जा रहे हैं, उसके पीछे भी सबसे बड़ा कारण स्वयं मुसलमान ही हैं।

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गौरक्षा एवं भक्ति हिंसक क्यों?

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देश में समय-समय पर गौहत्या के विरोध में आन्दोलन हुए हैं। 1967 में गौ-हत्या को लेकर उग्र आन्दोलन हुआ, संसद भवन को साधु-सन्तों ने घेरा था तो पुलिस ने उन पर बल प्रयोग किया था और लाठी-गोलियां भी चलाई थीं। तत्कालीन गृहमन्त्री स्व. गुलजारी लाल नन्दा को इस्तीफा देना पड़ा था। तत्कालीन इन्दिरा सरकार ने भारत की सांस्कृतिक एवं धार्मिक आस्था से जुड़े इस मसले को गंभीरता से नहीं लिया और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। क्योंकि गाय भारत की आत्मा है, जन-जन की आस्था का केन्द्र है।

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गौ-रक्षा का बदनाम होता उद्देश्य

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गौ-हत्या पर रोक का कानून बनता है तो दुध का उत्पादन तो बढ़ेगा ही, जैविक खाद से खेती भी होने लग जाएगी। फिलहाल देश में दुग्ध उत्पादन में कमी अनुभव की जाने लगी है। जिसकी भरपाई नकली दूध से की जा रही है। जो नई-नई बीमारियां परोसने का काम कर रहा है। दूध की दुनिया में सबसे ज्यादा खपत भारत में है। देश के प्रत्येक नागरिक को औसतन 290 गा्रम दूध रोजाना मिलता है। इस हिसाब से कुल खपत प्रतिदिन 45 करोड़ लीटर दूध की हो रही है। जबकि शुद्ध दूध का उत्पादन करीब 15 करोड़ लीटर ही है। मसलन दूध की कमी की पूर्ति सिंथेटिक दूध बनाकर, यूरिया और पानी मिलाकर की जा रही है। दूध की लगातार बढ़ रही मांग के करण मिलावटी इस दूध का कारोबार गांव-गांव फैलता जा रहा है।

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