Tag: छत्तीसगढ़

समाज

शहरी नक्सलियो को बेनकाब करने की जरूरत

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नक्सली अपने प्रभाव क्षेत्र में क्रूरतापूर्वक युवतियों का यौनशोषण कर रहे हैं,उन्हें मनमर्जी से उठाकर ले जाते हैं,उन महिलाओं का सामूहिक बलात्कार तक किया जाता है बड़े नक्सली कमांडरों द्वारा,यहां तक कि समय समय पर गर्भपात और जबर्दस्ती नसबंदी जैसे अमानुषी कुकृत्यों को भी अंजाम देने में नक्सली कतई नही हिचकते। नक्सली तमाम ठेकेदारों,आम जनता तथा उद्योगपतियों से अवैध धन उगाही में लिप्त हैं,जो इनका मुख्य धंधा है।जो निर्दोष आदिवासी इनक़े पाशविक कारनामो का विरोध करते हैं उन्हें सरेआम पत्थरो से कुचलकर मार दिया जाता है।अनेक बच्चो को अपहृत कर लिया जाता है, जो आदिवासी मांसाहार न करना चाहे उसे बलपूर्वक गाय तथा मनुष्य तक का मांस खिलाने का पैशाचिक कारनामा ये लोग करते सुनाई देते हैं।

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विविधा

‘अपने ही लोगों ‘ के सामने घुटने टेकने को मजबूर है सरकार

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केंद्र सरकार को चाहिए कि वो नक्सलवाद के उन्मूलन की दिशा में गंभीरता से सोचे, सिर्फ बैठकें कर लेने और मीडिया के सामने बयानबाजी कर देने से इस समस्या का समाधान नहीं होने वाला है । ठोस कार्रवाई वक्त की मांग है। देश के मंत्रीगण – राजनेता और आला – अधिकारी किसी बड़े नक्सली हमले के बाद शहीदों के शवों पर श्रद्धाञ्जलि के नाम पर फूलों का बोझ ही तो बढ़ाने जाते हैं ? और नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए लम्बी – चौड़ी मगर खोखली बातें करते हैं । लेकिन जब नक्सलवाद के खिलाफ ठोस रणनीति या कार्रवाई करने का समय आता है तो हमारे नेता ” गांधीवादी राग ” अलापने लगते हैं।

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राजनीति

शिक्षा का आसमां छूता छत्तीसगढ़

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छत्तीसगढ़ में रमनसिंह सरकार ने सब पढ़ेंगे, नई दुनिया गढ़ेंगे के तर्ज पर प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा देने के पर्याप्त इंतजाम किया है. हर बच्चा स्कूल जा सके, इसके लिए उनकी पहुंच के भीतर शाला भवनों की व्यवस्था की गई है तो उच्च शिक्षा के लिए अनेक नवीन योजनाओं की शुरूआत की गई है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पिछले सालों से छू लो आसमां और प्रयास स्कूलों के तहत शिक्षा के पूरे इंतजाम हैं जिसके कारण छत्तीसगढ़ के बच्चे कामयाबी की नई इबारत लिखने में जुट गए हैं. 16 साल पहले जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था तब और आज के हालात में जमीन आसमां का अंतर दिख रहा है.

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