Tag: नोटबंदी

आर्थिकी विविधा

#नोटबंदी से भ्रष्टाचार मुक्त डिजिटल भारत की ओर

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आठ नवम्बर 2016 के आठ बजे की वह घडी भारतीय अर्थ व्यवस्था के शुद्धिकरण के लिए एक ऐतिहासिक पल के रूप में जानी जाएगी। 500 व 1000 रूपए के नोटों को चलन से बंद करने की अचानक घोषणा ने समस्त देश वासियों को हिला कर रख दिया. गत एक माह के अनुभव ने एक बात तो सिखा दि कि हम समस्त भरत वंशियों को अब नकदी के मोह से उबर कर ‘नकदी रहित व्यवहार(कैश लैस ट्रान्जेक्शन)’ का अभ्यास तुरंत प्रभाव से करना पडेगा, जो दुनियाभर के विकसित तथा विकासशील देश पहले से ही सफ़लता पूर्वक कर रहे हैं।

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राजनीति

अब तो समझे विपक्ष जनता क्‍या चाहती है

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लोकतंत्र शासन प्रणाली में जनता भगवान होती है, उसके रुख से ही यह तय होता है कि किस पार्टी की नीतियों के लिए उसका बहुमत है। जब से केंद्र में भाजपा की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने हैं, विपक्ष किसी न किसी बहाने, बिना कोई सार्थक मुद्दा होने के बावजूद भी लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। हद तो यह है कि पुराने 500-1000 के नोट प्रचलन के बाहर करने की जहां देशभर में बहुसंख्‍यक जनता सरकार की तारीफ कर रही है, वहीं विपक्षी हैं कि उनके पेट में इतना दर्द हो रहा है कि वे एक माह तक मुकर्रर किए गए वक्‍त में आवश्‍यक विधेयकों एवं कार्रवाहीं के लिए चलनेवाले सदन को भी नहीं चलने दे रहे।

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राजनीति

यूपी चुनावः नोटबंदी से ‘मंदा’ पड़ा टिकट का ‘धंधा’

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अतीत से निकल कर वर्तमान पर आया जाये तो यह साफ नजर आ रहा है कि 2012 से 2017 के बीच यूपी की सियासत काफी बदल चुकी है। कई पुराने सूरमा हासिये पर जा चुके हैं तो अनेक नये सियासी चेहरे क्षितिज पर आभा बिखेर रहे हैं। 2012 के विधान सभा चुनावों से प्रदेश को अखिलेश यादव के रूप में एक युवा और उर्जावान नेता मिला था, जिसकी चमक तमाम किन्तु-परंतुओं के साथ आज भी बरकरार है। पांच वर्ष पहले सपा की सियासत मुलायम सिंह यादव के इर्दगिर्द घूमती थी,लेकिन आज की तारीख में सपा के लिये मुलायम से अधिक महत्ता दिखाई पड़ रही है

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महत्वपूर्ण लेख विविधा

अर्थक्रांति और राष्ट्रवाद की और देश

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अनेक उच्च वर्गीय लोगो का कहना था कि मोदी के नोट वापसी के फैसले के बाद वे निराश हें और या तो काम करना बंद कर देंगे अथवा विदेश चले जायेंगे। मेरा उनसे कहना है कि अगर वो ऐसा करते हें तो इस देश पर अहसान ही होगा क्योकि वो देश में कमाते भी हें तो टैक्स चोरी कर कालाधन विदेश भेज देते हें या विदेशो से नकद में आयात कर देश के उद्योगों की कमर तोड़कर युवा पीढ़ी को बेकार कर रहे हें। कृपया अपने साथ लंपट नेताओ और नोकरशाहों को भी ले जाइयेगा और जल्द हमें बताइये कि किस देश में आप बिना कानून माने और टैक्स दिए बिना अय्याशी कर रहें हें।

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राजनीति

नोटबंदी पर क्‍यों भड़क रही हैं ममता ? 

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देश में जिस दिन से बड़े पुराने नोट बंद किए हैं, उस दिन से आप देख लीजिए, आपको कांग्रेस, सपा, बसपा, आम आदमी पार्टी से ज्‍यादा कोई बेचैन नजर आएगा तो निश्‍चि‍त ही वे ममता ही होंगी। अब ममता से जुड़ी जो बात समझ नहीं आ रही, वह यह है कि प्रधानमंत्री के लिए इस फैसले पर वे इतनी आकुल और व्‍याकुल क्‍यों हो रही हैं। यहां तक कि कोलकाता में मार्च निकालने के वक्‍त मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पीएम पर निशाना साधते हुए कह गईं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक भगवान बनकर आए और उन्‍होंने नोटबंदी कर दी। मैं आज कसम लेती हूं कि चाहे में जिंदा रहूं या मर जाऊं लेकिन पीएम मोदी को भारतीय राजनीति से हटाकर रहूंगी।

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