Category: समाज

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मध्यम-वर्ग: नई भोर की आहट

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मध्यमवर्ग भले ही आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न न भी हो, वह शिक्षित भी है, जागरूक भी है और #विकासोन्मुखी भी है लेकिन वह अपनी परम्पराओं और रूढियों से खुद को मुक्त नहीं कर सका। संस्कार और संस्कृति उसकी जेहन में रहते हैं। यही कारण है कि मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा पीड़ित है। मध्यम वर्ग की विडम्बना देखिये कि उसे अपना दर्द व्यक्त करने का मंच भी सुलभ नहीं है। यत्र-तत्र चर्चाओं में भाग लेकर अपना आक्रोश तो प्रकट करता है परन्तु समय, धन व जनबल के आभाव के कारण सत्ता में बैठे लोगों को अपने हित चिंतन के लिए विवश नहीं कर पाता।

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बृद्धावस्था बोझ नहीं, परिवार व समाज के उद्धारक बनें

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दादा दादी , नाना नानी के संरक्षण में बच्चों में आत्मविश्वास और सुरक्षित होने की भावना बढ़ती है। जिन घरों में गृहणियां बाहर नहीं जातीं , वहां भी वरिष्ठ सदस्यों की प्रासंगिकता रहती है। पति पत्नी एक मर्यादा में रहते हैं। बात बात में आपे से बाहर नहीं होते।बुढ़ापे को बेकार मत समझिए। इसे सार्थक दिशा दीजिए। तन में बुढ़ापा भले ही आ जाए, पर मन में इसे मत आने दीजिए। आप जब 21 के हुए थे तब आपने शादी की तैयारी की थी, अब अगर आप 51 के हो गए हैं तो शान्ति की तैयारी करना शुरू कर दीजिए। सुखी बुढ़ापे का एक ही मन्त्र हैं। दादा बन जाओ तो दादागिरी छोड़ दो और परदादा बन जाओ तो दुनियादारी करना छोड़ दो।

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कला-संस्कृति पर्व - त्यौहार वर्त-त्यौहार समाज

होली पर्व भारत में बहुसांस्कृतिक समाज के जीवंत रंगों का प्रतीक

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होली पर्व पूरे देश में परंपरा, हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है। होली पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली पर्व हमारे देश में उपस्थित बहुसांस्कृतिक समाज के जीवंत रंगों का प्रतीक है। होली पर्व देश में हमारी संस्कृति और सभ्यता के मूल सहिष्णुता और सौहार्द की भावना को बढ़ावा देने वाला पर्व है। इस पर्व को सभी लोगों को शांति, सौहार्द और भाईचारे की भावना से मनाना चाहिए।

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महिला-जगत समाज

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

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माता का हमेशा सम्मान हो मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। मां देवकी (कृष्ण) तथा मां पार्वती (गणपति/ कार्तिकेय) के संदर्भ में हम देख सकते हैं इसे। किंतु बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है।

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