Category: विविधा

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गांधीवाद की परिकल्पना – 2

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गांधीवाद समस्या की इस जड़ को सदैव बनाये रखना चाहता है। गांधीवादी विचारधारा के ध्वजवाहक नेहरू जी ने भारी उद्योगधंधों का प्रचलन भारत में किया। इससे लाखों करोड़ों लोगों के परम्परागत काम धंधे यथा लुहार, बढ़ई, चर्मकार, जुलाहा आदि बेरोजगार हो गये। कुछ लोगों को रोजगार मिला तो आनुपातिक दृष्टिकोण से बहुत से लोगों का धंधा छिना भी-अर्थात वे बेरोजगार हुए। बड़े उद्योगों के स्थान पर लघु उद्योगों और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाता तो हमारी सामाजिक स्थिति आज कुछ दूसरी ही होती।

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टूरिज्म पर टैरेरिज्म हावी क्यों

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अगर पत्थर बाज अपने देश के लिए पत्थर फेंक रहे हैं तो हमारे जवान किसके लिए पत्थर और गोलियाँ खा रहे हैं? अगर देश को पत्थर बाजों को समझने की जरूरत है तो क्या आपको देश और जवानों के सब्र को समझने की जरूरत नहीं है? अबदुल्ला साहब का कहना है कि आप लोगों को देश की परवाह है लेकिन पत्थर बाजों की नहीं तो क्या आप पत्थर बाजों को इस देश का हिस्सा नहीं मानते? हाल के चुनावों में वो कौन लोग थे जिन्होंने बन्दूक की नोंक पर कश्मीरी आवाम को वोट डालने से रोका? कश्मीर का युवा हाथ में बन्दूकें या पत्थर लेकर इस मुद्दे का हल चाह रहे हैं ?

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आखिर कब जड़ेगा उत्तर प्रदेश में “मधुशाला पर ताला”??

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अवैध धंधो की तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की नजर टेढ़ी होते ही महिलाओं ने भी शराब बंदी का पुरजोर समर्थन , कहीं तोड़फोड़ तो कहीं मारपीट से किया. उन महिलाओं की नजर में यह एक ऐसा जहर है जो पूरे परिवार की खुशियों को उनसे छीन रहा है पर वर्तमान परिदेश्य के मुताबिक अब सरकार को शराब बंदी की अच्छाइयों के प्रति समाज में जागरूकता फ़ैलाने की आवश्यकता है. स्कूल कॉलेजों में कार्यक्रम आयोजित कर इससे होने वाली परेशानियों से अवगत कराने की जरूरत है तभी इस धीमे जहर से कुछ हद तक राहत पाई जा सकती है .

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जलमंत्री कपिल मिश्रा को भी लगा राजरोग

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गौरतलब है कि पिछले साल श्री श्री रविशंकर की अगुवई में दिल्ली में विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया गया था। यह आयोजन मयूर फेज वन के सामने यमुना डूब क्षेत्र पर हुआ था। इसे लेकर यमुना जियो अभियान के श्री मनोज मिश्र ने राष्ट्रीय हरित पंचाट में अपनी आपत्तियां दर्ज कराई थीं। आपत्तियों को महत्वपूर्ण मानते हुए हरित पंचाट ने आयोजकों को दोषी करार दिया था और एक विशेषज्ञ समिति को यह जिम्मा सौंपा था कि वह आकलन कर बताये कि यमुना पारिस्थितिकी को कितना नुकसान हुआ है और उसकी भरपाई में कितना खर्च व वक्त लगेगा। विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता भारत सरकार के जलसंसाधन मंत्रालय के सचिव शशिशेखर को सौंपी गई थी।

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