प्रवक्ता न्यूज़ “अयोध्या फैसला : लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां’’ पर वाराणसी में सम्मेलन November 28, 2010 / December 19, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 4 Comments on “अयोध्या फैसला : लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां’’ पर वाराणसी में सम्मेलन वाराणसी 28 नवंबर 10/ अयोध्या फैसला लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां विषय पर मैत्री भवन में हुए सम्मेलन में लोकतंत्र के चारों स्तंभों के भूमिका और उनकी गैरजिम्मेदारी पर सवाल उठाए गए। जहां प्रथम सत्र में इतिहास के आइनें में कानून की भूमिका पर बात हुयी तो वहीं द्वितीय सत्र में लोकतंत्र के धर्मनिरपेक्षता जैसे बुनियादी […] Read more » Democracy लोकतंत्र
कविता कविता/ यह कैसा लोकतंत्र ? November 21, 2010 / December 19, 2011 by राजीव दुबे | 2 Comments on कविता/ यह कैसा लोकतंत्र ? -राजीव दुबे मानवीय संवेदनाओं पर होता नित निर्मम प्रहार, सीधे चलता जन निर्बल माना जाता, रौंदा जाता जनमत प्रतिदिन…, यह कैसा लोकतंत्र – यह कैसा शासन ? सत्ता के आगारों में शासक चुप क्यों बैठा, जनता हर रोज नए सवालों संग आती है – क्या आक्रोश चाहिए इतना कि उठ जाये ज्वाला, पिघलेगा पाषाण हृदय […] Read more » poem on loktantra:Rajiv Dubey लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र का गद्दार कौन? August 3, 2010 / December 22, 2011 by गोपाल सामंतो | 10 Comments on लोकतंत्र का गद्दार कौन? -गोपाल सामंतो आज एक चैनल पर आ रहे कार्यक्रम ‘लोकतंत्र के गद्दार’ को देखने के बाद मेरे मन में एक सवाल बार बार आया कि आखिर लोकतंत्र का गद्दार है कौन? कुछ दिनों पूर्व रायपुर में हुए एक सेमिनार में मैंने स्वामी अग्निवेश के साथ कुछ और बुद्धिजिवियो को सुना था तब भी मेरे मन […] Read more » Democracy लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र की छाती पर सवार अफरसरशाही July 6, 2010 / December 23, 2011 by गिरीश पंकज | 5 Comments on लोकतंत्र की छाती पर सवार अफरसरशाही -गिरीश पंकज देश जब गुलाम था, तब महात्मा गाँधी ने विश्वास जताया था कि आजादी के बाद अपना राज यानी स्वराज्य होगा। लेकिन आजजो हालत है, उसे देख कर कहना पड़ता है, कि अपना राज है कहाँ ? उस लोक का तंत्र कहाँ नजर आता है, जिस लोक ने अपने ही तंत्र की स्थापना की? […] Read more » Democracy अफसरशाही लोकतंत्र
राजनीति ‘लोकतंत्र’ की तलाश में ‘आम आदमी’ June 26, 2010 / December 23, 2011 by आशीष कुमार ‘अंशु’ | 1 Comment on ‘लोकतंत्र’ की तलाश में ‘आम आदमी’ -आशीष कुमार ‘अंशु’ बात थोड़ी पुरानी है भाई जान। एक बार आम आदमी भारत में लोकतंत्र को तलाशता हुआ आया। आम आदमी का नाम सुनकर आप भ्रमवश इसे प्रेमचंद का आम आदमी ना समझ लीजिएगा। चूंकि वह आम आदमी आज के दौर में सिर्फ प्रेमचंद सरीखे साहित्यकारों की चिन्ता में ही शामिल है। ना यह […] Read more » Democracy आम आदमी लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र के महासेनानी ईएमएस नम्बूदिरीपाद June 16, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on लोकतंत्र के महासेनानी ईएमएस नम्बूदिरीपाद ईएमएस नम्बूदिरीपाद के जन्मशताब्दी के समापन पर विशेष ( जन्म 13 जून 1909 मृत्यु 12 मई 1998 ) ई.एम.एस. नम्बूदिरीपाद विश्व में विरल कम्युनिस्टों में गिने जाते हैं। आम तौर पर कम्युनिस्टों की जो इमेज रही है उससे भिन्न इमेज ईएमएस की थी। मुझे निजी तौर पर ईएमएस से सन् 1983 की मई में मिलने […] Read more » Democracy ईएमएस नम्बूदिरीपाद लोकतंत्र
राजनीति भारत में लोकतंत्र – सफलता का रहस्य May 29, 2010 / December 23, 2011 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 4 Comments on भारत में लोकतंत्र – सफलता का रहस्य – डॉ0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री द्वितीय विश्वयुद्व के बाद जब भारत से ब्रिटिश साम्राज्यवाद का अन्त हुआ तो उसका प्रभाव एशिया और अफ्रिका के अन्य देशों पर भी पडा और एक के बाद एक देश यूरोपीय साम्राज्यवादी शक्तियों के शिकंजे से मुक्त होने लगे। साम्राज्यवाद से मुक्ति के बाद प्राय अधिकांश देशों ने लोकतांत्रिक शासन […] Read more » Democracy लोकतंत्र
टेक्नोलॉजी नई प्रौद्योगिकी से आया हिंदी लेखन में लोकतंत्र May 20, 2010 / December 23, 2011 by संजय द्विवेदी | 1 Comment on नई प्रौद्योगिकी से आया हिंदी लेखन में लोकतंत्र -संजय द्विवेदी साहित्य और मीडिया की दुनिया में जिस तरह की बेचैनी इन दिनों देखी जा रही है, वैसी पहले कभी नहीं देखी गयी। यह ऐसा समय है जिसमें उसके परंपरागत मूल्य और जनअपेक्षाएं निभाने की जिम्मेदारी दोनों कसौटी पर हैं। बाजार के दबाव और सामाजिक उत्तरदायित्व के बीच उलझी शब्दों की दुनिया अब नए […] Read more » New Technology नई प्रौद्योगिकी लोकतंत्र
राजनीति लोकतंत्र को सार्थक बनाएगा पंचायती राज April 24, 2010 / December 24, 2011 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment महात्मा गांधी जिस गांव को समर्थ बनाना चाहते थे वह आज भी वहीं खड़ा है। ग्राम स्वराज्य की जिस कल्पना की बात गांधी करते हैं वह सपना आज का पंचायती राज पूरा नहीं करता। तमाम प्रयासों के बावजूद पंचायत राज की खामियां, उसकी खूबियों पर भारी हैं। जाहिर तौर पर हमें अपने पंचायती राज को […] Read more » Democracy पंचायती राज लोकतंत्र
राजनीति विधि-कानून न्यायपालिका और लोकतंत्र – राजीव तिवारी March 13, 2010 / December 24, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment न्यायपालिका, विधायिका तथा कार्यपालिका का समन्वित स्वरूप ही लोकतंत्र होता है। लोकतंत्र में न्यायपालिका, विधायिका तथा कार्यपालिका एक दूसरे के पूरक भी होते हैं तथा नियंत्रक भी। इसका अर्थ यह हुआ कि इन तीनों में से कोई अंग कमजोर पड़ रहा हो तो शेष दो उसे शक्ति दें और यदि कोई अंग अधिक मजबूत हो […] Read more » Democracy न्यायपालिका लोकतंत्र
राजनीति सुप्रीम कोर्ट बनाम लोकतंत्र February 21, 2010 / December 24, 2011 by गोपाल सामंतो | 5 Comments on सुप्रीम कोर्ट बनाम लोकतंत्र एक तरफ तो साल दर साल हम गणतंत्र दिवस मनाते हुए बड़े गर्व से कहते हैं कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के नागरिक है, और दूसरी ओर देश के लोकतांत्रिक ढांचे को किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचाने की कोशिश ढके-छुपे तौर पर जारी रहती है। हमारे देश में ”लोगों द्वारा […] Read more » Supreme Court लोकतंत्र सुप्रीम कोर्ट
राजनीति झारखंड के सफ़ल चुनाव : नक्सलवाद पर भारी पड़ा लोकतंत्र December 30, 2009 / December 25, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on झारखंड के सफ़ल चुनाव : नक्सलवाद पर भारी पड़ा लोकतंत्र प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर झारखंड राज्य के दस साल पूरे होने को हैं। बिहार से अलग कर बनाए गए इस राज्य में विकास की असीम और अपार संभावनाएं हैं, लेकिन नक्सली गतिविधियों और राजनीतिक अस्थिरताओं के चलते राज्य के विकास पर काफी असर पड़ा है। वन संपदा और खदानों के इस राज्य में हाल में […] Read more » Jharkhand झारखंड नक्सलवाद लोकतंत्र