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हवा की शुद्वता के लिए प्रदूषण के खिलाफ जनान्दोलन छेड़ने की जरूरत

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खेती और किसानों के लिए अहम पराली को संरक्षित करने के बाबत बनाई गई राष्ट्रीय पराली नीति भी राज्य सरकारों के ठेंगा पर दिख रही है। गेहूं, धान और गन्ने की पत्तियां सबसे ज्यादा जलाई जाती है। अधिकृत रिपोर्ट के अनुसार देश के सभी राज्यों को मिलाकर सालाना 50 करोड़ टन से अधिक पराली निकलती है उम्मीदों से भरे प्रदेश उत्तर प्रदेश मे छह करोड़ टन पराली में से 2.2 करोड़ टन पराली जलाई जाती है।

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प्रवक्ता न्यूज़

समाजवादी पार्टी का इतिहास और उठापठक

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चाचा शिवपाल की आपत्तियों को ख़ारिज कर अखिलेश मुख्यमंत्री बने. लेकिन आधे अधूरे.उनके पिता, चाचा और दूसरे वरिष्ठ नेता प्रशासन में दख़ल देते रहे. वे चुपचाप काम करते रहे. सर्व प्रथम इस सरकार ने अपने करीबियो तथा खास लोगों को वोट बैंक के लिहाज से कन्या विद्या धन योजना से लेकर लैपटॉप बांटने तक की कई स्कीमें तथा बेरोजगार भत्ता देना शुरू किया. इसके बाद अपने खास आदमियों को विभिन्न विभागों एवं निगमों में राज्यमंत्री का मानद पद बांटना शुरू कर दिया. पुलिस लेखपाल, शिक्षमित्रों आदि अनेक तरह के विवदित तथा पक्षपात पूर्ण भर्तियां की जाने लगी. दागियों को महिमा मंडित किया जाने लगा है. रेवड़ियां बंटने लगी हैं.

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राजनीति विधि-कानून

बच्चा चुराने वालों को अब आजीवन कारावास

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इस विधेयक के पास हो जाने के बाद यह संभव हो सकेगा कि मानव तस्करी के गंभीर मामलों में जो दोषी पाए जाएंगे उन्हें हत्या करने या उसके प्रयासों के लिए दी जाने वाली सजा के समकक्ष तक माना जा सकेगा। साथ ही मानव तस्करी रोधी विधेयक के माध्यम से यह भी एक श्रेष्ठ निर्णय लिया जा रहा है कि इसमें बंधुआ मजदूर से लेकर भीग मंगाने के उद्देश्य से बच्चों का इस्तेमाल कर रहे लोगों एवं शादी के लिए बिना उसकी इच्छा और स्वीकारोक्ति के किसी महिला की तस्करी या उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाये जाने जैसे अपराध को भी सम्मिलित किया गया है।

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समाज

जिन्दगी के गुम हो गये अर्थों की तलाश

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जिन परिस्थितियों में व्यक्ति जी रहा है, उनसे निकल पाना किसी के लिए भी आज बड़ा कठिन-सा है। अपने व्यापार, अपने कैरियर, अपनी इच्छाओं को एक झटके में त्याग कर एकांतवास में कोई रह सके, यह आज संभव नहीं है और व्यावहारिक भी नहीं है। तथापि अपनी मानसिक शांति और स्वास्थ्य के प्रति आदमी पहले से अधिक जागरुक हो रहा है क्योंकि भौतिकवादी जीवनशैली के दुष्परिणाम वह देख और भुगत चुका है, इसलिए वह अपने व्यस्त जीवन से कुछ समय निकालकर प्रकृति की गोद में या ऐसे किसी स्थान पर बिताना चाहता है, जहां उसे शांति मिल सके।

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