विधि-कानून विविधा पूर्वाग्रही राजनीति की भेंट चढ़ता संविधान का अनुच्छेद 48 June 6, 2017 by अलकनंदा सिंह | Leave a Comment जानवर कई बार बिकते हैं। कई हाथों से गुजरते हैं। हर खरीदार उनसे बदसलूकी करता है। जानवरों को ठीक से खाना-पानी नहीं मिलता क्योंकि हर खरीदार को पता होता है कि इसे आखिर में कत्ल ही होना है। कई बार तो जानवरों को फिटकरी वाला पानी दिया जाता है, जिससे उनके गुर्दे फेल हो जाएं। इससे उनके शरीर में पानी जमा हो जाता है। इससे जानवर हट्टे-कट्टे दिखते हैं। इससे उनकी अच्छी कीमत मिलती है। उन्हें पैदल ही एक बाजार से दूसरे बाजार ले जाया जाता है। Read more » Featured अनुच्छेद 48 केंद्र सरकार जानवरों की तस्करी पशु बाजार पशु वध में बेदर्दी मवेशियों की खरीद-फरोख्त
विधि-कानून विविधा हिन्दू मामलों में माननीय सुप्रीम कोर्ट की रुचि अपेक्षाकृत ज्यादा May 30, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी वैसे तो न्यायपालिका लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है। इसे पूरे देश की अखण्डता तथा समग्र देशवासी की भावना को देखते हुए ही कार्य करना चाहिए, परन्तु व्यवहार में अनेक अवसर आये हैं कि हिन्दू मामलों में जन भावना की अनदेखी की गई है। भारत के माननीय सुप्रीम कोर्ट एक स्वतंत्र संस्था […] Read more » गौ हत्यारों पर कार्यवाही जलीकट्टू दही हांडी पर कार्यवाही पर्दा बुर्का प्रथा शनि शिंगनापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश
विधि-कानून विविधा बातचीत से सुलझ सकता है जाधव का मसला May 26, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment जाधव के मामले में पाकिस्तानी राजनीति में जूतम पैजार शुरु हो गई है लेकिन यह संतोष का विषय है कि भारत में पक्ष और विपक्ष एकजुट हैं। भारत सरकार, खासतौर से हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज बधाई की पात्र हैं, जिन्होंने जाधव के मामले में इतनी दृढ़ता और कर्मण्यता दिखाई लेकिन अभी खुशी से फूलकर कुप्पा हो जाना ठीक नहीं है। पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखना जरुरी है। सभी दक्षेस देशों, इस्लामी राष्ट्रों और महाशक्तियों से फोन करवाए जाएं और संयुक्त राष्ट्र के नए महासचिव अंतानियो गुतरस भी मध्यस्थता करें तो बेहतर हो। Read more » जाधव
विधि-कानून विविधा अलविदा-तीन तलाक May 25, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अब तीन तलाक की वर्तमान में जारी प्रक्रिया को सुधारने की दिशा में मौलवियों और काजियों को दिशा-निर्देश जारी करेगा। इन दिशा-निर्देशों को पूर्णत: लोकतांत्रिक और एक उदार सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप बनाने व ढालने का प्रयास किया जाएगा। अब विवाद होने पर पति पत्नी पारस्परिक सहमति से हल निकालेंगे। यदि उनकी पारस्परिक सहमति से हल नहीं निकलता है तो कुछ समय के लिए वे अस्थायी रूप से अलग हो जाएंगे जिससे कि परिस्थितियों की उत्तेजना शांत हो सके और दोनों को एक दूसरे को समझते हुए अपनी गलती का अहसास करने का अवसर मिल सके। Read more » Featured triple talaq तीन तलाक मुस्लिम
विधि-कानून विविधा धर्मग्रंथ बड़ा है कि राष्ट्रग्रंथ ? May 13, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | 1 Comment on धर्मग्रंथ बड़ा है कि राष्ट्रग्रंथ ? तीन तलाक के बारे में हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने अभी जो शुरुआती विचार रखा है, उसी पर देश के विचारकों को खुली बहस चलाने की जरुरत है। अदालत ने कहा है कि वह सिर्फ तीन तलाक के मुद्दे पर विचार करेगी और यह देखेगी कि कुरान में उसका समर्थन है क्या? यदि कुरान तीन तलाक […] Read more » तीन तलाक धर्मग्रंथ राष्ट्रग्रंथ
विधि-कानून विविधा न्यायपालिका में भ्रष्टाचार या अवहेलना न्यायालय की ?? May 12, 2017 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on न्यायपालिका में भ्रष्टाचार या अवहेलना न्यायालय की ?? ऐसा नहीं है कि न्यायपालिका के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप पहली बार लगे हैं | इसके पहले भी कई जजों को स्टिंग ऑपरेशन में रंगे हाथों पकड़ा गया है | सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश तथा प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष रह चुके जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कई बार सार्वजनिक रूप से न्यायपालिका में हो रहे भ्रष्टाचार पर चिंता जताई है | कितनी ही बार पूर्व न्यायाधीशों ने कोर्ट में हो रहे भ्रष्टाचार पर चिंता व्यक्त की है | न्यायपालिका में चल रहे भ्रष्टाचार पर जस्टिस काटजू ने भी कहा था कि “मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के ज्यादातर मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने से परहेज करते रहे हैं, शायद इसलिए कि इससे न्यायपालिका की बदनामी होगी |” Read more » Featured कलकत्ता उच्च न्यायालय न्यायपालिका में भ्रष्टाचार न्यायाधीश चिन्नास्वामी स्वामीनाथन कर्नन सर्वोच्च न्यायालय
विधि-कानून विविधा यह न्यायिक आपातकाल क्यों? May 11, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment पता नहीं, वह उनसे इतना डरा हुआ क्यों है? एक माह बाद वे सेवा-निवृत्त होने वाले थे। वे हो जाते। मामला खत्म होता लेकिन अब सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आप को दलदल में फंसा लिया है। उसका यह आदेश तो बिल्कुल भी मानने लायक नहीं है कि अखबार और टीवी चैनल कर्णन का कोई भी बयान प्रकाशित न करें। कर्णन का न करें और उनका करें, यह क्या मजाक है? क्या यह न्यायिक आपात्काल नहीं है? Read more » 6 months jail Justice Karnan Supreme Court TV channels कर्णन कलकत्ता हाईकोर्ट द्रविड़ मुनेत्र कड़गम सर्वोच्च न्यायालय सी एस कर्णन
विधि-कानून विविधा निर्भया को आखिर मिला इंसाफ May 8, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment स्त्री की इस परिपक्वता और न्यायपालिका के दायित्व निर्वहन के बाद अब समाज की जिम्मेबारी बनती है कि वह समाज में उस मानसिकता को बदलने का काम करे, जो बलात्कार जैसे अपराधों का कारण बनती है। क्योंकि केवल सजा के जरिएं इस दुष्प्रवृत्ति को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता है। समस्या के टिकाऊ हल के लिए उन पितृसत्तात्मक धारणाओं पर भी कुठाराघात करना होगा, जो स्त्री के साथ दुष्कृत्य करने की भावना को उत्तेजित करती हैं। Read more » Featured निर्भया मामला निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड़ सर्वोच्च न्यायालय
विधि-कानून विविधा निर्भया और बिल्किस बानो May 6, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment निर्भया के बलात्कार और हत्या करने वाले चार अपराधियों को आज सर्वोच्च न्यायालय मृत्यु-दंड नहीं देता तो भारत में न्याय की मृत्यु हो जाती। निर्भया कांड ने दिसंबर 2012 में देश का दिल जैसे दहलाया था, उसे देखते हुए ही 2013 में मृत्युदंड का कानून (धारा 376ए) पास हुआ था। छह अपराधियों में से एक […] Read more » Bilkis Bano gangrape case Featured Nirbhaya nirbhaya gang rape case Supreme Court गुजरात बिल्किस बानो
विधि-कानून विविधा बेनामी संपत्ति पर कड़ी कानूनी कार्यवाही की उम्मीद May 6, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भः प्रधानमंत्री का ओप्रेसन क्लीनमनी- प्रमोद भार्गव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए ओप्रेसन क्लीनमनी की समीक्षा करते हुए राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे बेनामी संपत्ति रखने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही में तेजी लाएं। यही बात प्रधानमंत्री ने आकाषवाणी पर ‘मन की बात‘ कार्यक्रम […] Read more » Featured Operation Clean Money ओप्रेसन क्लीनमनी कानूनी कार्यवाही की उम्मीद बेनामी संपत्ति
विधि-कानून विविधा बड़ी अदालत में बड़ा अन्याय May 5, 2017 / May 5, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment भारत के सर्वोच्च न्यायालय में आप किसी भी भारतीय भाषा का प्रयोग नहीं कर सकते। हिंदी का भी नहीं। हिंदी राजभाषा है। यह हिंदी और राज दोनों का मजाक है। यदि आप संसद में भारतीय भाषाओं का प्रयोग कर सकते हैं तो सबसे बड़ी अदालत में क्यों नहीं? सबसे बड़ी अदालत में सबसे बड़ा अन्याय है, यह ! देश के सिर्फ चार उच्च न्यायालयों में हिंदी का प्रयोग हो सकता है- राजस्थान, उप्र, मप्र और बिहार! छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु ने भी स्वभाषा के प्रयोग की मांग कर रखी है। Read more » bihar Constitution High Courts hindi Narendra Modi Regional Language Supreme Court अदालत छत्तीसगढ़ राजस्थान
विधि-कानून विविधा जल्दी आए लोकपाल May 2, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment स्वतंत्र भारत में भ्रष्टाचार का सुरसामुख लगातार फैलता रहा है। उसने सरकारी विभागों से लेकर सामाजिक सरोकारों से जुड़ी सभी संस्थाओं को अपनी चपेट में ले लिया है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मानवीय मूल्यों से जुड़ी संस्थाएं भी अछूती नहीं रहीं। नौकरशाही को तो छोड़िए, देश व लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था संसद की संवैधानिक गरिमा बनाए रखने वाले संासद भी सवाल पूछने और चिट्ठी लिखने के ऐवज में रिश्वत लेने से नहीं हिचकिचाते। जाहिर है, भ्रष्टाचार लोकसेवकों के जीवन का एक तथ्य मात्र नहीं, बल्कि शिष्टाचार के मिथक में बदल गया है। जनतंत्र में भ्रष्टाचार की मिथकीय प्रतिष्ठा उसकी हकीकत में उपस्थिति से कहीं ज्यादा घातक इसलिए है, क्योंकि मिथ हमारे लोक-व्यवहार में आदर्श स्थिति के नायक-प्रतिनायक बन जाते हैं। राजनीतिक व प्रशासनिक संस्कृति का ऐसा क्षरण राष्ट्र को पतन की ओर ही ले जाएगा ? इसीलिए साफ दिखाई दे रहा है कि सत्ता पक्ष की गड़बड़ियों पर सवाल उठाना, संसदीय विपक्ष के बूते से बाहर होता जा रहा है। विडंबना यह है कि जनहित से जुड़े सरोकारों के मुद्रदों को सामने लाने का काम न्यायपालिका को करना पड़ रहा है। Read more » Featured लोकपाल