Category: विधि-कानून

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भारत में न्यायिक प्रणाली, समस्याएं और सुधार 

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एडवोकेट डा. राधेश्याम द्विवेदी लोकतांत्रिक भारत सरकार की तीन स्वतंत्र शाखाएं हैं – कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका। भारतीय न्यायिक प्रणाली अंग्रेजों ने औपनिवेशिक शासन के दौरान बनाई थी। इसको आम कानून व्यवस्था के रुप में जाना जाता है जिसमें न्यायाधीश अपने फैसलों, आदेशों और निर्णयों से कानून का विकास करते हैं। देश में कई स्तर […]

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राष्ट्रगीत के सम्मान में न्यायालय का निर्णय

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– लोकेन्द्र सिंह भारतीय संविधान में ‘वंदेमातरम्’ को राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ के समकक्ष राष्ट्रगीत का सम्मान प्राप्त है। 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा ने ‘वन्देमातरम्’ गीत को देश का राष्ट्रगीत घोषित करने का निर्णय लिया था। यह अलग बात है कि यह निर्णय आसानी से नहीं हुआ था। संविधान सभा में जब बहुमत की इच्छा की अनदेखी कर वंदेमातरम् को राष्ट्रगान के दर्जे से दरकिनार […]

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