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जब योग का कहीं कोई विरोध है ही नहीं तो उसे करवाने की आक्रामक नाटकीयता क्यों ?

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  आजकल शुद्ध  सरकारी और उसका पिछलग्गू व्यभिचारी प्रचार तंत्र नाटकीय ढंग से योगाभ्यास के बरक्स  आक्रामक और असहिष्णु हो चला  है। दृश्य,श्रव्य ,पश्य, छप्य,डिजिटल,इलक्ट्रॉनिक ,मोबाइल  और तमाम ‘प्रवचनीय’ माध्यमों दवरा  बार -बार  कहा जा रहा है कि दुनिया में भारतीय योग का झंडा पहली बार  बुलंदियों को छूने वाला है।  बड़े  ही आक्रामक तरीके से यह भी  सावित करने की कोशिश की जा रही है कि जो […]

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