Category: विविधा

विविधा

यमुना मां पर प्राणघातक प्रहार एवं उससे बचाव

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गंगा यमुना नदी समस्त जगत की जीवन दायिनी हैं। आज आने अनजाने लोग प्रकारान्तर से मां की हत्या रोज का रोज करने का प्रयास कर रहे हैं जो बहुत बड़े पाप के भागी बनते जा रहे हैं। मां यमुना का अविरल प्रवाह जारी रहना चाहिए। यमुना की गन्दगी की असली वजह तो ये है कि उसका पानी हरियाणा के यमुना नगर में हथिनीकुंड बराज में रोक लिया गया है। वहाँ से यूपी और हरियाणा के लिए दायें-बायें नहर निकाल ली गयी और यमुना का पानी खेतों में बाँट लिया गया। ऐसे में यमुना सदानीरा नहीं रह पाई। उत्तराखण्ड में यमुना कल कल करती हुई बहती हैं परन्तु मैदानों पर आकर मानव के प्रहारों से वह बहुत आहत होती गयी हैं

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भोजन की बर्बादी एक त्रासदी है

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दुनियाभर में हर वर्ष जितना भोजन तैयार होता है उसका एक तिहाई भोजन बर्बाद चला जाता है। बर्बाद जाने वाला भोजन इतना होता है कि उससे दो अरब लोगों की खाने की जरूरत पूरी हो सकती है। विश्व भर में होने वाली भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष और विश्व खाद्य कार्यक्रम ने एकजुट होकर एक परियोजना शुरू की है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में बढ़ती संपन्नता के साथ ही लोग खाने के प्रति असंवेदनशील हो रहे हैं। खर्च करने की क्षमता के साथ ही खाना फेंकने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। समस्या की शक्ल लेती यह स्थिति चिन्ताजनक है और प्रधानमंत्री इसके लिये जागरूक है, यह एक शुभ संकेत है।

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कला-संस्कृति विविधा

सृष्टि की रचना का पहला दिन

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प्रचीन भारत और मघ्यअमेरिका दो ही ऐसे देश थे, जहां आधुनिक सैकेण्ड से सूक्ष्मतर और प्रकाशवर्ष जैसे उत्कृष्ठ कालमान प्रचलन में थे। अमेरिका में मय सभ्यता का वर्चस्व था। मय संस्कृति में शुक्रग्रह के आधार पर कालगणना की जाती थी। विश्वकर्मा मय दानवों के गुरू शुक्राचार्य का पौत्र और शिल्पकार त्वष्टा का पुत्र था। मय के वंशजो ने अनेक देशों में अपनी सभ्यता को विस्तार दिया। इस सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताएं थीं, स्थापत्य कला और दूसरी सूक्ष्म ज्योतिष व खगोलीय गणना में निपुणता। रावण की लंका का निर्माण इन्हीं मय दानवों ने किया था। प्रचीन समय में युग,मनवन्तर,कल्प जैसे महत्तम और कालांश लधुतम समय मापक विधियां प्रचलन में थीं। समय नापने के कालांश को निम्न नाम दिए गए

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राम जन्मभूमि का सच

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माननीय उच्चतम न्यायालय ने मन्दिर मस्जिद विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने का नवीनतम निर्देश जारी किया है। जहां हिन्दू संगठनों ने इस सकारात्मक पहल का स्वागत किया है। कुछ मुस्लिम संगठन भी इसे आपसी रजा मन्दी से हल किये जाने के पक्ष में हैं, परन्तु कुछ कट्टर पंथी लोग इसका समाधान चाहते ही नहीं हैं और न्यायालय के निर्णय को ही प्रमुखता दे रहें हैं। इतना ही नहीं वामपंथी इतिहासकारों ने अयोध्या के मन्दिर मस्जिद मुद्दे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट को गुमराह करने की पहले भी कोशिश की थी। अदालत द्वारा निर्णय दिए जाने के बाद भी इरफान हबीब और उनकी टीम सच मानने को तैयार नहीं रहे। अयोध्या मुद्दे पर राजनेताओं से कृतकत्य होने के चक्कर में इतिहासकारों ने इस स्पष्ट विषय को और विवादित बना दिया है। 6 दिसंबर को ढांचा गिरने के उपरांत जब न्यायालय के संरक्षण में खुदाई हुई, उसमें मंदिरों का मलवा, खंडित मूर्तियां एवं फर्श के अवशेष निकले थे। लेकिन तथाकथित इतिहासकारों ने तब भी विवाद को सुलझने नहीं दिया था।

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विविधा

संपूर्ण स्वतन्त्रता : सांस्कृतिक स्वतंत्रता की ओर भारतीय समाज

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क्यों नहीं हम फिर से उस स्थान पर अवस्थित हो सकते जो स्थान हमारा था । हमें पूरा अधिकार है उसे प्राप्त करने का एवं इसी में विश्व का भला है। हमने फिर से उस सांस्कृतिक विरासत को प्राप्त करना है जहाँ स्वय के धर्म, संस्कृति, भाषा साहित्य का सम्मान हो उन पर गर्व हो। जगत यह जान सके कि धर्म प्रतिष्ठा धर्म पर चल कर होती है न कि जिहाद का भय दिखा कर या सेवा के आड़ में धर्म परिवर्तन करा कर भारतीय संस्कृति की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए प्रत्येक भारतीय कटिबद्ध है ।

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घर का जोगी जोगड़ा

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- 1967 में लोक नायक राम मनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसवाद के नारे के परिणाम स्वरूप कई प्रदेशों में संयुक्त सरकारें बनीं. बाद में कांग्रेस के भी इंडिकेट-सिंडिकेट में दो टुकड़े हो गए. मगर अपने अपूर्व साहस, कल्पनाशीलता और समाजवादी आग्रहों से इन्दिरा गांधी ने कांग्रेस को फिर से नयी जान भरना शुरू कर दिया था. इन्दिरा गांधी ने अपने समय में प्रादेशिक छत्रपों को कभी उभरने नहीं दिया गया था और सत्ता को काफी हद तक केन्द्रीकृत कर रखा था. धीरे-धीरे कांग्रेस नेहरू-गांधी परिवार की विरासत बन गई.नेहरू-गांधी परिवार का नेतृत्व ही वह आंचल साबित हुआ जो कांग्रेसियों को आपस में जोड़कर रखता रहा है

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