Category: विविधा

विविधा

एक बेहतर दुनिया के लिए लोकमंथन

| Leave a Comment

लोकमंथन के बहाने हमें एक नया समाज दर्शन भी चाहिए जिसमें राजनीति नहीं लोक केंद्र में हो। समाज का दर्शन और राजनीति का दर्शन अलग-अलग है। राजनीति का काम विखंडन है जबकि समाज जुड़ना चाहता है। राजनीति समाज को लडाकर, कड़वाहटें पैदाकर अपने लक्ष्य संधान करती है। ऐसे में राजनीति और समाज में अंतर करने की जरूरत है। वैचारिक शून्य को भरे बिना, जनता का प्रशिक्षण किए बिना यह संभव नहीं है। हमें इसके लिए समाज को ही शक्ति केंद्र बनाना होगा। लोगों की आकांक्षाएं, कामनाएं, आचार और व्यवहार मिलकर ही समाज बनाने हैं।

Read more »

विविधा

आतंकियों की मौत पर आंसू बहाना

/ | Leave a Comment

अब दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, मोहन प्रकाशऔर एआईएमआईएम के स्वयंभू असददुद्दीन औवेसी ने मुठभेड़ पर सवाल और व्यक्ति के मानवाधिकारों की पैरवी की है। ये कुशंकाएं नेताओं के लिए राजनीतिक रोटियां सेंकने जैसी तो हैं ही, आतंकियों की हौसला-अफजाई करने वाली भी हैं। यह छींटाकशी राष्ट्रहित को परे रखते हुए वोट-बैंक को भुनाने जैसी है। मुठभेड़ को फर्जी घोषित करने वालों को यह चिंता नहीं हुई कि ये आतंकी उस जेल प्रहरी की हत्या कर भागे हैं, जो अपने उत्तरदायित्व का ईमानदारी से निर्वहन कर रहा था।

Read more »