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प्रवक्ता न्यूज़

किसान आंदोलन : घबराहट नहीं, समाधान दे सरकार

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पर यह भी एक सच है तथ्य है कि शिवराज सरकार ने किसानों की बेहतरी के लिए जमीनी प्रयास किए। कांग्रेस शासन में किसानों को कर्जे पर 18 फीसदी ब्याज लिया जाता था, तो आज यह शून्य फीसदी है। दिग्विजय शासन में गांवों से बिजली गायब थी तो आज यह 15-16 घंटें तो है ही। फसल खरीदी पर 150 फीसदी बोनस है जो पहले था ही नहीं। यही कारण है कि कृषि विकास दर 4 से 7 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हुई। निश्चित रूप से शिवराज सरकार इसके लिए बधाई की पात्र है।

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समाज

लोगों की मौत और हिंसक प्रदर्शन से आगे क्या ?

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जरा सोचिये, समाज में अशांति फैलाने के लिए पेड उपद्रवियों (यानि पैसे के लिए कुछ भी करेगा टाइप उपद्रवी) और उनके पीछे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से खड़े कतिपय राजनीतिक नेताओं को छोड़ कर ऐसा असामाजिक कृत्य कोई कैसे कर सकता है. फिर सोचने वाली बात यह भी है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने से आम कर दाताओं का ही जेब ढीला होता है. ट्रक, बस आदि जलाने से बीमा कंपनियों द्वारा क्षति का भुगतान करना पड़ता है, जो प्रकारांतर से हमें और देश को आर्थिक नुकसान पहुंचाता है. ऐसे भी, कुछ लोगों के गैरकानूनी हरकतों के कारण हजारों–लाखों लोग आए दिन बेवजह मुसीबत झेलें.

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टेक्नोलॉजी विज्ञान विविधा

वैज्ञानिकों के चमत्कार को नमस्कार

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अब आज जब हम अपने आधुनिक विश्व के वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष की खोज करते हुए देखते हैं, हम यह भी देखते हैं कि आज के वैज्ञानिक कैसे नये-नये अंतरिक्षीय रहस्यों से पर्दा उठाते जा रहे हैं, तो हमें उन पर आश्चर्य होता है। वास्तव में यह आश्चर्य करने की बात नहीं होनी चाहिए, अपितु हमें अपने आप पर गर्व होना चाहिए कि आज का विज्ञान जितना ही अंतरिक्षीय रहस्यों को उद्घाटित करता जा रहा है-वह उतना ही अधिक हमारे साक्षात्धर्मा ऋषियों के उत्कृष्टतम चिंतन को नमन करता जा रहा है।

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विविधा

कम्युनिस्टों का एजेंडा, सेना को करो बदनाम

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कम्युनिस्ट विचारधारा के लेखक पार्थ चटर्जी का अंग्रेजी में लिखा एक लेख दो जून को कम्युनिस्ट एजेंडे पर संचालित वेबस्थल 'द वायर' पर प्रकाशित होता है। इस लेख में चटर्जी सभी सीमाएं तोड़ते हुए लिखते हैं कि कश्मीर'जनरल डायर मोमेंट' से गुजर रहा है। वर्ष 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के पीछे ब्रिटिश सेना के तर्र्क और कश्मीर में भारतीय सेना की कार्रवाई (मानव ढाल) का बचाव, दोनों में समानताएं हैं। उल्लेखनीय है कि मेजर गोगोई ने कश्मीर घाटी में उपद्रवियों और पत्थरबाजों की हिंसा से पोलिंग पार्टी को बचाने के लिए एक पत्थरबाज को जीप के आगे बांध लिया था।

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