Category: विविधा

विविधा

व्यग्र न हों – मोदी पर विश्वास रखें

| Leave a Comment

जैसा कि इस आलेख के प्रथम पक्ष में ही मैंने चाणक्य का उद्धरण देकर बताया कि हमें स्वयं को साधकर सटीक समय पर अपना सर्वोत्तम करना होगा. आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता यही है. और आज के समय की सबसे दुखद परिस्थिति यही है कि हमारी पीढ़ी कुछ अधिक व्यग्र है, वह कुछ अधिक ही हावी होनें के प्रयास में भी रहती है किंतु इस क्रम में आगे बढ़ते हुए वह स्वनियंत्रण को ही खो बैठती है जो इस समय की मूल ही नहीं अपितु परम आवश्यक आवश्यता रहती है. हम देख रहें हैं कि पाकिस्तान द्वारा हमारें सैनिकों के साथ पाशविक आचरण के बाद मीडिया पर और विशेषतः सोशल मीडिया द्वारा नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर जिस तरह का बदला लेनें का मानसिक दबाव बना दिया गया है. लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित किसी भी सरकार के लिए ऐसा जनदबाव खतरनाक साबित हो सकता है, वो तो अच्छा है कि मोदी सरकार और उसके विभिन्न भाग व अंग इस जनदबाव के समक्ष भी अपनें विवेक व दायित्वबोध को यथा स्थान, यथा समय व यथा संतुलन समायोजित किये हुए है.

Read more »

विविधा

कश्मीर का बिना शर्त भारत में पूर्ण विलय , फिर अनुच्छेद 370 का क्या औचित्य…❔

| Leave a Comment

इस अनुच्छेद का अधिकांश लाभ सामान्य जनता को नही केवल वहां के सत्ताधारियों व अलगाववादियों को ही मिल रहा है । इसके कारण अलगाववादियों, आतंकियों एवं भारतीय ध्वज व संविधान का अपमान करने वालो पर कठोर कार्यवाही भी नही हो पाती । सन 2002 में पूरे देश मे लोकसभा क्षेत्रो का पुनर्गठन हुआ था पर इस विवादित अनुच्छेद के चलते यह जम्मू-कश्मीर में नही हो सका। क्या ऐसे में भारतीय संसद की भूमिका वहां अप्रसांगिक नही हो गई ? अतः यह विचार करना होगा कि अनुच्छेद 370 के होते वहां के सामान्य नागरिको को क्या लाभ हुआ और अगर देश के अन्य कानून वहां लागू होते तो उन्हें कितना लाभ होता ?

Read more »

विविधा

गरीबों को मिल सकेगे सस्ते घर

/ | Leave a Comment

एंटी भू माफिया अभियान के बाद एक के बाद सफेदपोश नेताओं व बाबुओं के चेहरे से नकाब उतर सकता हैं । यही कारण है कि अपने आप को बचाने के लिए अब सभी लोग महागठबंधन की बात करने लग गये हैं। ईवीएम की आलोचना होने लग गयी हे लोग अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास नहीं कर रहे हैं अपितु ओर अधिक गलतियां लगातार कर रहे है। यदि कहीं प्रदेशभर के विपक्ष ने नोटबंदी की तरह एंटी भू- माफिया अभियान का भी विरोध करना शुरू कर दिया तो यह दल अगले चुनावों में एक - एक सीट ही नहीं वोट के लिए भी तरस जायेंगे।

Read more »

विविधा

“यह कैसा विधान…. पत्थरबाज भी नही आते बाज…”⁉

| Leave a Comment

विश्व के सभी देश अपने अपने नागरिकों के महत्व को समझते है और उसकी रक्षा के साथ साथ उसके समस्त मौलिक अधिकारों को यथा संभव सुरक्षा प्रदान करने के लिए संकल्पित है। परंतु हम सत्तर वर्ष के अपने स्वतंत्र राष्ट्र में इतने बौने हो गए है कि सैनिको का मान-मर्दन होता रहें और हम चिंता व निंदा करके केंडिल मॉर्च से अपने अपने दायित्व से मुक्त हों कर मीडिया में श्रद्धांजलियां देते हुए छपते रहना चाहते है । आज के सोशल मीडिया ने तो इस चलन की बाढ़ आती जा रही है ,यह कैसी राष्ट्रपरायणता है जो मानवीय संवेदनाओं से भी प्रचार की होड़ करवाती है । क्या पीड़ित हृदयो में आंसुओ का अकाल हो गया है या ह्र्दय ही इतना कठोर होता जा रहा है कि हमारी सुरक्षा में लगे इन सैनिकों को आक्रोशित हों कर भी आत्मग्लानि में जीने को विवश होना पड़ें ?

Read more »

विधि-कानून विविधा

जल्दी आए लोकपाल

| Leave a Comment

स्वतंत्र भारत में भ्रष्टाचार का सुरसामुख लगातार फैलता रहा है। उसने सरकारी विभागों से लेकर सामाजिक सरोकारों से जुड़ी सभी संस्थाओं को अपनी चपेट में ले लिया है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मानवीय मूल्यों से जुड़ी संस्थाएं भी अछूती नहीं रहीं। नौकरशाही को तो छोड़िए, देश व लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था संसद की संवैधानिक गरिमा बनाए रखने वाले संासद भी सवाल पूछने और चिट्ठी लिखने के ऐवज में रिश्वत लेने से नहीं हिचकिचाते। जाहिर है, भ्रष्टाचार लोकसेवकों के जीवन का एक तथ्य मात्र नहीं, बल्कि शिष्टाचार के मिथक में बदल गया है। जनतंत्र में भ्रष्टाचार की मिथकीय प्रतिष्ठा उसकी हकीकत में उपस्थिति से कहीं ज्यादा घातक इसलिए है, क्योंकि मिथ हमारे लोक-व्यवहार में आदर्श स्थिति के नायक-प्रतिनायक बन जाते हैं। राजनीतिक व प्रशासनिक संस्कृति का ऐसा क्षरण राष्ट्र को पतन की ओर ही ले जाएगा ? इसीलिए साफ दिखाई दे रहा है कि सत्ता पक्ष की गड़बड़ियों पर सवाल उठाना, संसदीय विपक्ष के बूते से बाहर होता जा रहा है। विडंबना यह है कि जनहित से जुड़े सरोकारों के मुद्रदों को सामने लाने का काम न्यायपालिका को करना पड़ रहा है।

Read more »

विज्ञान विविधा

विश्वास का जीव विज्ञान

| Leave a Comment

नवीन जीव विज्ञान (New Biology) दिखलाता है कि डीएनए जीव विज्ञान का नियन्त्रण नहीं करता. बल्कि डीएनए ही कोशा के बाहर से आनेवाले संकेतों, से नियन्त्रित होता हैं। इन पर्यावरणीय सकेतों में हमारे सकात्मक और ऋणात्मक विचार भी शामिल हैं। कोशा विज्ञान एवम् क्वाण्टम भौतिकी में डॉ लिपटन के नवीनतम एवम् सर्वोत्तम अनुसंधान स्थापित करते हैं कि हम अपने सोचने के तरीके को पुनः प्रशिक्षित करके अपने शरीरों को बदल सकते हैं।

Read more »

विविधा

पाकिस्तान को सबक सिखाना ही होगा

| Leave a Comment

भारतीय सीमा पर हमारे दो जवानों की शहादत के बाद पाकिस्तान ने जो कायराना हरकत की, उसके जवाब में भारतीय सेना तुरंत हरकत में आई और उसने पाकिस्तान के दस सैनिक को मौत के घाट उतार दिया लेकिन पाकिस्तान भविष्य में कोई हरकत न कर सके, इसके लिए हमें तैयार रहना होगा और ऐसी ठोस रणनीति तैयार करनी होगी जिससे पाकिस्तान भारत की ओर मुंह उठाकर भी न देख सके। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को घेरने की रणनीति पर भारत को एक बार फिर से कदम बढ़ाने होंगे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को अपनी बात पुरजोर तरीके से रखना होगी ताकि दुनिया को पता चल सके कि पाकिस्तान भारत के लिए ही खतरा नहीं है बल्कि अन्य देशों के लिए भी खतरा बनता जा रहा है।

Read more »